शिवजी की पूजा मूर्ति तथा शिवलिंग दोनों रूपों में की जाती है शिव के गले में नाग देवता विराजमान करते हैं तथा उनके हाथों में डमरू और त्रिशूल होता है. सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ अर्थ- https://shivchalisas.com