कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ भोर भी होगी क्यों डरते हो https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa