सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥ माथे पे चन्द्र सोहे अंगो पे विभूति लगाये जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥ अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी धन निर्धन को देत सदा हीं। https://lanehdwqn.blgwiki.com/1021838/5_tips_about_shiv_chalisa_lyricsl_you_can_use_today